लखनऊ: 40 सालों तक जरायम की दुनिया से लेकर सियासत की दुनिया में जिस अतीक अहमद का सिक्का सबसे खरा था, उसी माफिया अतीक और उसके भाई अशरफ को कैमरे के सामने तीन शूटरों ने मौत के घाट उतार दिया. अशरफ और अतीक के खामोश हो जाने के बाद अब गुड्डू मुस्लिम को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. सूत्रों का दावा है कि गुड्डू मुस्लिम ही अतीक अहमद का पूरा नेटवर्क चलाता था. फिलहाल 5 लाख का इनामी गुड्डू फरार है.
बताया जा रहा है कि उमेश पाल की हत्या के बाद गुड्डू फरार होकर मेरठ गया था. 24 फरवरी की वारदात के बाद से पुलिस को गुड्डू मुस्लिम नहीं मिला. 5 मार्च के सीसीटीवी फुटेज से पता चला कि गुड्डू मुस्लिम मेरठ गया था. मेरठ में अतीक की बहन आयशा नूरी के घर गुड्डू मुस्लिम नजर आया था. आयशा के पति अखलाक ने गले लगाकर गुड्डू मुस्लिम का स्वागत किया था. इसके बाद से गुड्डू मुस्लिम का कोई सुराग हाथ नहीं लगा.
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आइए जानते हैं कि गुड्डू कौन है?
अतीक अहमद के सबसे करीबी गुड्डू मुस्लिम को बम बनाने का एक्सपर्ट माना जाता है. प्रयागराज का शूटआउट गवाह है कि गुड्डू मुस्लिम कैसे बमों से खेलता था. जिस गुडडू मुस्लिम पर अतीक और अशरफ सबसे ज़्यादा भरोसा करते थे, वो कहां ग़ायब है? ये सवाल यूपी पुलिस के लिए भी किसी पहेली से कम नहीं है. गुड्डू मुस्लिम के बारे में जानने के लिए चलिए थोड़ा उसके अतीत से आपको रू ब रू करवा देते हैं.
गुड्डू मुस्लिम पहले अतीक के गैंग में नहीं था. महज़ 15 साल की उम्र में गुड्डू मुस्लिम ने छोटी-मोटी चोरियों से अपराध की दुनिया में कदम रखा. कुछ समय बाद बाहुबलियों की पनाह मिलने के बाद उसने बम बनाना शुरू किया. धीरे-धीरे वो उत्तर प्रदेश के साथ साथ बिहार के कई गिरोहों के बीच बमबाज़ के नाम से मशहूर हो गया. देखते-देखते उत्तर प्रदेश में होने वाले हर बड़े आपराधिक मामले में गुड्डू मुस्लिम का नाम भी जुड़ने लगा.
श्रीप्रकाश शुक्ल की परछाई था गुड्डू मुस्लिम
गुड्डू मुस्लिम ने कई बाहुबली और माफिया डॉन के साथ काम किया. गुड्डू मुस्लिम कभी श्रीप्रकाश शुक्ल की परछाईं बन गया था. गुड्डू मुस्लिम ने माफिया सरगना मुख्तार अंसारी के लिए भी बम बनाए. धनंजय सिंह और अभय सिंह के गैंग में गुड्डू मुस्लिम को अच्छा काम मिला. दो दशक तक गुड्डू मुस्लिम पूर्वी उत्तर प्रदेश के गैंग में नामी बना रहा. 1997 में गुड्डू ने गेम टीचर फैड्रिक्स जे गोम्स की हत्या की थी.
अतीक का गुर्गा कैसे बना गुड्डू मुस्लिम?
गु्ड्डू मुस्लिम सालों पहले ही जरायम की दुनिया में कदम रख चुका था. वो यूपी की राजधानी लखनऊ में होने वाले ठेकों के टेंडर पूल करवाने में माफियाओं की मदद करता था. सवाल यही उठता है कि आखिर अतीक अहमद के साथ गुड्डू कब आया और उसका वफादार क्यों बन गया? दरअसल, जेल में बंद गुड्डू की जमानत अतीक अहमद ने कराई थी. ज़मानत के बाद गुड्डू मुस्लिम, अतीक का गुर्गा बन गया. गुड्डू मुस्लिम के तार बिहार के माफियाओं से भी जुड़े हैं.
अतीक के कई गुनाहों का मुख्य किरदार है गुड्डू मुस्लिम
गुड्डू के ज़रिए अतीक के रिश्ते भी बिहार के माफियाओं से बने. गुड्डू ने अतीक के कई गुनाहों में अहम रोल निभाया. फ़रवरी महीने में हुई उमेश पाल की हत्या के बाद आए सीसीटीवी फुटेज में भी गुड्डू मुस्लिम को मौक़े पर बम फेंकते हुए देखा गया था. पुलिस ने गुड्डू मुस्लिम पर उमेश पाल के हत्याकांड के बाद 5 लाख का इनाम भी घोषित किया था. उमेश पाल की हत्या के बाद से गुड्डू मुस्लिम लगातार फ़रार चल रहा है.
ISI से मंगवाए हथियारों को मैनेज करता था गुड्डू
एसटीएफ के मुताबिक, आईएसआई से मंगवाए गए हथियार पंजाब के रास्ते लाने में गुड्डू मुस्लिम ही मैनेज करता था. गुड्डू मुस्लिम अपने पांच संदिग्धों के साथ झांसी में सतीश पांडेय उर्फ बबलू पांडेय के घर पांच दिन रुका था, जिसके बाद दोबारा भी झांसी जल्दी पहुंचा था. केयरटेकर विनय सिंह ने भी बताया कि पांच दिनों में नाम तक नहीं जान सका था, यहां तक उसके सामने बातचीत तक नहीं करते थे.
अतीक को गुड्डू मुस्लिम के पकड़े जाने का था डर
गुड्डू मुस्लिम, झांसी में सुबह से शाम तक रेकी करता रहता था जबकि झांसी में बबीना रेंज सैन्य ठिकाना सहित काई महत्वपूर्ण स्थान है. अतीक को डर था कि कहीं गुड्डू मुस्लिम पकड़ा न जाए. अपने रिमांड में अतीक ने कई बार गुड्डू मुस्लिम का नाम लिया और उससे पकड़े जाने का डर था. डर था कि कहीं पुलिस उसका एनकाउंटर ना कर दें और कई राज ऐसे हैं, जो वह उगल ना दे.
कर्नाटक में मिली आखिरी लोकेशन
गुड्डू मुस्लिम की तलाश में एसटीएफ की कई टीमें लगी हैं. इसी बीच कर्नाटक में उसकी लास्ट लोकेशन मिली है. वहीं उमेश पाल हत्याकांड के बाकी शूटर साबिर और अरमान की तलाश भी तेज है. हालांकि अभी तक इन दोनों का सुराग नहीं मिला है, लेकिन कई तरह की चर्चा है. पुलिस के सूत्र दबी जुबां पर कुछ ऐसी बातें भी कर रहे हैं, जो चौंकाती है. चर्चा है कि साबिर और अरमान पुलिस के लिए मुखबिरी कर रहे और इन दोनों से ही असद का पता मिला था.
साभार – आजतक