देहरादून: कहते हैं कि जब कोई भी दुख खुद को होता है तभी सामने वाले के दुख का एहसास होता है आज हम आपको ऐसे ही एक महिला के बारे में बताने जा रहे हैं जो खुद तो विकलांग है लेकिन उसने खुद के दुख को भूलते हुए दूसरों को सुख देने का संकल्प लिया है । आज भी इस दुनिया में ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो अपने दुख को भूलकर दूसरों के चेहरे पर मुस्कान लाने की पूरी कोशिश करते हैं ऐसे ही एक महिला से आज हम आपको रूबरू कराते हैं यह महिला मधु मैखुरी जो उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में रहती हैं जो विकलांग होने के साथ साथ जिन्होंने अपने शिक्षा के दम पर मेहनत करके एक नौकरी हासिल की….
नौकरी से रिटायर होने के बाद जो पैसा मधु मैखुरी को मिला था वह सारा पैसा मधु मैखुरी ने विकलांग लोगों की मदद में लगा दिया और एक संस्था बनाकर विकलांग लोगों की सेवा शुरू कर दी…. साल में कई मौकों पर मधु विकलांग लोगों की मदद करती है वंही आज गोकुल संस्था का 22 वॉ वार्षिकोत्सव मनाते हुए कई दिव्यांगों को होंडा एक्टिवा, व्हीलचेयर, सिलाई मशीन , कृतिम अंग उपकरण भेंट किये इस मौके पर मधु मैखुरी ने कहा अभी तक गोकुल संस्थान के द्वारा 38725 दिव्यांगों को उनकी जरूरत के अनुसार सहयोग किया गया है , दिव्यांगों के जीवन को सरल बनाने का हमारा मुख्य उद्देश्य है, आज के इस कार्यक्रम में एप्सिलोन कॉर्बन प्राइवेट लिमिटेड ने अपने सीएसआर फण्ड से इन दिव्यांगजनो की मदद की।