उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव एसके दास का निधन, सीएम धामी ने दी श्रद्धांजलि

खबर उत्तराखंड

देहरादूनः उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव रहे एसके दास का निधन हो गया है. सीएम धामी ने उनके निधन की जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘एक्स’ पर साझा की है. एसके दास उत्तराखंड के पांचवें मुख्य सचिव थे. उन्होंने अल्मोड़ा जिले में जिलाधिकारी के रूप में भी अपनी सेवाएं दी थी. एसके दास उत्तराखंड की संस्कृति को बचाने के लिए लगातार प्रयास करने के लिए जाने जाते थे. एसके दास ने 2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तराखंड की टिहरी सीट के आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी अनुप नौटियाल को अपना समर्थन भी दिया था.

सीएम पुष्कर सिंह धामी ने ‘एक्स’ पर पूर्व मुख्य सचिव एसके दास के निधन की जानकारी साझा करते हुए लिखा, ‘उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव एसके दास जी के निधन का अत्यंत दुःखद समाचार प्राप्त हुआ. ईश्वर से पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान एवं शोक संतप्त परिजनों को यह असीम कष्ट सहन करने की शक्ति प्रदान करने की कामना करता हूं’.

एसके दास 25 मार्च 1980 से 30 नवंबर 1982 तक अल्मोड़ा जिले के जिलाधिकारी रहे. एसके दास की पत्नी विभा पुरी दास भी पूर्व आईएएस ऑफिसर रह चुकी हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक, सेवानिवृत्त के बाद 2019 दिसंबर माह में एकसे दास को राष्ट्रीय सम्मेलन में शामिल होने के लिए अल्मोड़ा में आमंत्रित किया गया था. जहां उन्होंने लोगों से अपनी संस्कृति को बचाने के लिए प्रयास करते रहने की अपील की थी. उन्होंने कई सालों बाद अल्मोड़ा पहुंचने पर अपनी पुरानी यादों को ताजा करते हुए पहाड़ की विरासत को बचाए रखने के लिए लोगों की सराहना भी की थी.

एसके दास का कार्यकाल

एसके दास उत्तराखंड के पांचवें मुख्य सचिव रहे. एम रामचंद्रन के बाद एसके दास को मुख्य सचिव की अहम जिम्मेदारी दी गई थी. सेवानिवृत होने के बाद उन्हें लोक सेवा आयोग में पांचवें अध्यक्ष के तौर पर भी जिम्मेदारी दी गई. साल 2008 से 2011 तक 2 साल 174 दिन का कार्यकाल उनका आयोग में रहा.

राज्य स्थापना से पहले एसके दास देहरादून के जिलाधिकारी के तौर पर भी जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. इसके अलावा गढ़वाल मंडल के कमिश्नर के तौर पर भी उन्होंने काम किया. राज्य स्थापना के बाद नए राज्य की विभिन्न चुनौतियों के दौरान उन्होंने महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी देखी. पूर्व मुख्य सचिव एसके दास प्रमुख सचिव गृह की भी जिम्मेदारी में रहे हैं.

सेवानिवृत के बाद देहरादून में ही रहे

एसके दास सेवानिवृत होने के बाद देहरादून में ही रह रहे थे. हालांकि, बेहद सरल स्वभाव के और पढ़ने लिखने में रुचि रखने वाले एसके दास विभिन्न किताबों की जानकारी देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी अक्सर नजर आते रहते थे. एसके दास बौद्धिक कार्यों में रुचि रखते थे और सामाजिक कार्य करने वाले लोगों से भी उनका लगातार जुड़ाव रहा.

उत्तराखंड में सांप्रदायिक रूप से माहौल बिगड़ने जैसे मामलों पर भी उनका पक्ष तमाम पत्रों में दिखाई देता रहा. कुल मिलाकर सामाजिक कार्यों और इसमें बेहतरीन के तमाम प्रयासों को लेकर उनके सुझाव सामने आते रहे हैं. खास बात यह है कि राज्य स्थापना के बाद एसके दास उन चुनिंदा अफसर में शामिल हैं, जिन्होंने उस दौरान बेहद कम व्यवस्थाओं में राज्य के लिए बन रही नीतियों में अपना पक्ष भी रखा और वह खुद नीति नियंताओं में शामिल रहे.

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