देहरादून: नगर निगम के पिछले बोर्ड के कार्यकाल में सफाई व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए करीब 1000 सफाई कर्मचारियों को पार्षद समिति के जरिए भर्ती किया गया था. प्रत्येक वार्ड में कम से कम पांच और अधिकतम 16 कर्मचारी रखे गए थे. हर महीने प्रति कर्मचारी को 15-15 हजार रुपए का भुगतान वेतन के तौर पर दिया जा रहा था.
2 दिसंबर को बोर्ड भंग होने के बाद नई व्यवस्था बनाने का प्रयास किया गया तो कर्मचारियों के वेतन और पीएफ आदि में गड़बड़ी की शिकायत मिली. इसके बाद सीधे कर्मचारियों के खाते में वेतन ट्रांसफर करने का निर्णय लिया गया. इसके लिए नगर निगम में समितियों के एक-एक कर्मचारी की भौतिक उपस्थित आधार कार्ड और बैंक खाता संख्या जुटाए गए तो पता चला कि करीब आधे कर्मचारी नदारद मिले या फिर उनके स्थान पर कोई अन्य व्यक्ति कार्य करता पाया गया. इससे साफ हो गया कि जो सूची दी गई थी उस सूची के अनुसार वेतन गलत व्यक्ति को दिया जा रहा था. इसके साथ ही कर्मचारियों की संख्या भी वास्तविक से अधिक बताई जा रही थी. नगर स्वास्थ्य अधिकारी का कहना है कि गड़बड़ी मिलने के बाद सभी वार्डों का भौतिक सत्यापन किया जा रहा है और अब तक 75 वार्डों में कर्मचारियों का भौतिक सत्यापन किया गया है, जिसमें कई वार्डो में गड़बड़ी सामने आई है.
नगर निगम की ओर से शहर की सफाई व्यवस्था में लगाए गए कर्मचारियों के वेतन के नाम पर हर महीने करीब डेढ़ करोड़ का भुगतान किया जाता है. प्रत्येक कर्मचारी का मासिक वेतन ₹15,000 है. ऐसे में प्रतिवर्ष करीब 18 करोड़ रुपए के हिसाब से पिछले 5 साल में नगर निगम द्वारा करीब 90 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है.
वहीं नगर आयुक्त का कहना है कि मामले की जानकारी मिलने के बाद नगर स्वास्थ्य अधिकारी को वार्डों के सत्यापन के लिए कहा गया था. अधिकारियों द्वारा किए जा रहे सत्यापन की रिपोर्ट अब तक नहीं आई है. साथ ही रिपोर्ट आने के बाद आरोपी कर्मचारियों के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई की जाएगी. नगर निगम प्रशासक के पास मामला जाने के बाद स्वच्छता समिति में शामिल कर्मचारियों को लेकर नगर स्वास्थ्य विभाग से विस्तृत रिपोर्ट लेने को कहा गया है. साथ ही नगर निगम द्वारा सत्यापन कराया जा रहा है. दोषी पाए जाने पर वैधानिक कार्रवाई की जायेगी.
हालांकि कई पार्षद कैमरे के सामने बोलने को तैयार नहीं हैं, लेकिन ऑफ द कैमरा पार्षदों का कहना है कि अधिकतर ने एक या दो सफाई कर्मचारी रखे थे. लेकिन नगर निगम से 10 सफाई कर्मचारियों का भुगतान ले रहे रहे थे. साथ ही कुछ पार्षदों ने अपने जान पहचान वालों को रख लिया. जान पहचान वाले ने आगे 06 से 08 हजार रुपए में प्राइवेट सफाई कर्मचारी को रख कर नकद भुगतान कर दिया.