देहरादून: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने उत्तराखंड सरकार के ओवर ड्राफ्ट और विशेष आहरण की सीमा को बढ़ा दिया है। इससे राज्य के कोषागार में नकदी प्रवाह (कैश फ्लो) प्रबंधन को मजबूती मिली है। इन दोनों राहतों से अब राज्य सरकार को कर्मचारियों के वेतन के लिए खुले बाजार से छोटे-छोटे कर्ज नहीं उठाने होंगे।
इसके स्थान पर सरकार अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए दीर्घ अवधि के ही ऋण लेगी। सचिव वित्त दिलीतप जावलकर ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में राज्य के लिए ओवर ड्राफ्ट सीमा 602 करोड़ रुपये है। आरबीआई ने इस सीमा को बढ़ाकर 839 करोड़ रुपये कर दिया है।
इसी तरह विशेष आहरण सीमा (एसडीएल) भी 382.97 करोड़ से बढ़ाकर 2543 करोड़ रुपये की गई है। इस बढ़ोतरी से हमारी ट्रेजरी में करीब 3300 करोड़ की नकदी का प्रवाह बना रहेगा। इस कैश फ्लो का सबसे अधिक फायदा हमें वेतन एवं समय-समय पर दिए जाने वाले भत्तों के लिए धनराशि का इंतजाम करने में होगा। वरना कैश फ्लो को बनाए रखने के लिए खुले बाजार से अल्प अवधि के ऋण उठाने पड़ रहे थे। अब इससे राहत मिलेगी। हमारा नकदी प्रवाह का प्रबंधन भी सुधरेगा और छोटे-छोटे ऋण लेने के बजाय हम दीर्घ अवधि के ऋण लेंगे।
एनएसए-स्पर्श योजना के तहत मिली सुविधा
आरबीआई ने नकदी प्रवाह को बनाने के लिए जो ओवर ड्राफ्ट और एसडीएल की सीमा बढ़ाई है, उसके पीछे वित्त मंत्रालय द्वारा शुरू की गई समायोजित प्रणाली एकीकृत शीघ्र हस्तांतरण (एसएनए-स्पर्श) योजना है, जिसे राज्य सरकार ने अंगीकार किया है। सचिव वित्त के मुताबिक, अक्तूबर से राज्य सरकार एसएनए प्रणाली काम शुरू कर देगी। सोमवार को उन्होंने इसकी समीक्षा की। नई व्यवस्था के वित्त मंत्रालय राज्यों के फंड प्रवाह पर नजर रखेगा। इसके लिए अपर सचिव वित्त सी रविशंकर को नोडल अधिकारी बनाया गया है। इसकी शुरुआत केंद्र पोषित योजनाओं से होगी।