देहरादून: देवभूमि में चारधाम, श्रीनंदा राजजात, आदि कैलास समेत अन्य धार्मिक यात्राओं और बड़े मेलों के प्रबंधन के लिए उत्तराखंड धर्मस्व एवं तीर्थाटन परिषद का गठन किया जाएगा।
इस सिलसिले में गठित उच्च स्तरीय समिति ने बुधवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंपी अपनी रिपोर्ट में परिषद की संस्तुति की है। तीन स्तर पर बनने वाली यह परिषद वर्षभर सक्रिय रहकर यात्राओं व मेलों के संचालन एवं प्रबंधन के लिए कदम उठाएगी। गढ़वाल व कुमाऊं दोनों मंडलों के आयुक्तों को परिषद के सीईओ की जिम्मेदारी देने की संस्तुति भी समिति ने की है।
उत्तराखंड में चारधाम समेत अन्य यात्राओं में भीड़ प्रबंधन के साथ ही यात्रा के दृष्टिगत व्यवस्थाएं जुटाना हमेशा ही चुनौतीपूर्ण रहा है। चारधाम यात्रा की शुरुआत में इस बार आई दिक्कतों के बाद प्रदेशभर में होने वाली यात्राओं के संचालन एवं प्रबंधन के लिए ऐसे प्राधिकरण, परिषद अथवा संस्था के गठन की आवश्यकता महसूस की गई, जो वर्षभर सक्रिय रहे।
इस क्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया। समिति के सदस्यों में सचिव सचिन कुर्वे, दिलीप जावलकर, अपर पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) एपी अंशुमन, गढ़वाल मंडलायुक्त विनय शंकर पांडेय व पुलिस महानिरीक्षक गढ़वाल केएस नगन्याल शामिल किए गए।
समिति ने सभी पहलुओं पर गहनता से मंथन किया। समिति के अध्यक्ष एवं अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन समेत सदस्यों ने बुधवार शाम मुख्यमंत्री को अपनी रिपोर्ट सौंपी। इसमें राज्य में संचालित हो रही यात्राओं के संचालन को भविष्य में सुचारु और सुगम बनाने के संबंध में संस्तुतियां दी गई हैं। इस अवसर पर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, समिति के अध्यक्ष व सदस्य उपस्थित थे।
सूत्रों के अनुसार समिति ने संस्तुति की है कि राज्य में उत्तराखंड धर्मस्व एवं तीर्थाटन परिषद का गठन तीन स्तर पर होगा। राज्य स्तर पर मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली परिषद नीति निर्धारण का काम करेगी, जबकि मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली परिषद के पास अनुश्रवण व मूल्यांकन का जिम्मा होगा। दोनों मंडलों में क्रियान्वयन व प्लानिंग के लिए मंडलायुक्तों की अध्यक्षता में परिषद गठित होगी। गढ़वाल व कुमाऊं के मंडलायुक्त अपने-अपने मंडलों में परिषद के सीईओ होंगे। सूत्रों ने बताया कि कांवड़ यात्रा को परिषद के दायरे से बाहर रखा गया है।