खटीमा:उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने गृह क्षेत्र खटीमा के शहीद स्मारक पहुंचकर उत्तराखंड राज्य स्थापना के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीद राज्य आंदोलनकारियों की मूर्तियों पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान राज्य आंदोलनकारी शहीदों के परिजनों को सम्मानित किया।
“आंदोलनकारियों ने अपने प्राणों की आहुति दे उत्तराखंड राज्य की स्थापना की”
कार्यक्रम में उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि खटीमा की भूमि उत्तराखंड की जननी है क्योंकि सर्वप्रथम 1 सितंबर 1994 के दिन खटीमा की इसी भूमि पर सात राज्य आंदोलनकारियों ने अपने प्राणों की आहुति दी। जिसके बाद मसूरी एवं अन्य जगह पर भी आंदोलन ने तेजी पकड़ी जिसके फल स्वरूप उत्तराखंड राज्य की स्थापना हुई। मैं राज्य स्थापना के लिए संघर्ष करने वाले उन सभी बलिदानियों को नमन करता हूं। आज उत्तराखंड निरंतर विकास एवं प्रकृति की राह पर आगे बढ़ रहा है। हम उत्तराखंड को देश का श्रेष्ठ राज्य बनाएंगे इसके लिए हम दृढ़ संकल्पित हैं।
सभी राजनीतिक दलों के जनप्रतिनिधियों ने शहीदों को अर्पित की श्रद्धांजलि
गौरतलब हो हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी कार्यक्रम का आयोजन उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच के द्वारा किया गया। आंदोलनकारी मंच ने उत्तराखंड सरकार द्वारा राज्य आंदोलन कार्यों को 10% क्षैतिज आरक्षण दिए जाने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए इस वर्ष भव्य रूप से श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया। जिसके चलते दलगत राजनीति को दूर रख राज्य आंदोलनकारी के साथ सभी राजनीतिक दलों के जनप्रतिनिधियों ने मंच साझा करते हुए शहीद आंदोलनकारी को याद किया एवं श्रद्धांजलि अर्पित करी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता खटीमा से कांग्रेस के विधायक भुवन कापड़ी ने की
बता दें कि कार्यक्रम की अध्यक्षता खटीमा से कांग्रेस के विधायक भुवन कापड़ी के द्वारा की गई। साथ ही नानकमत्ता के कांग्रेसी विधायक गोपाल सिंह राणा ने भी राज्य स्थापना के लिए किए गए संघर्ष को याद करते हुए शहीदों को नमन किया। वहीं रुद्रपुर के भाजपा विधायक शिव अरोड़ा एवं सांसद अजय भट्ट ने भी कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई एवं शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
ज्ञात हो कि 1 सितंबर 1994 के दिन खटीमा में उत्तराखंड राज्य की मांग कर रहे राज्य आंदोलनकारियों पर पुलिस के द्वारा बर्बरता पूर्वक गोलियां चलाई गई थी। जिसमें सात राज्य आंदोलनकारियों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी उन्हीं राज्य आंदोलनकारियों को श्रद्धांजलि देने के लिए हर वर्ष 1 सितंबर को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।