देहरादून: उत्तराखंड (Uttarakhand) के दिग्गज कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत एक बार फिर कानूनी संकट में फंसते नजर आ रहे हैं. इस बार प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उनसे जुड़े एक पुराने केस को फिर से खोलते हुए बड़ी कार्रवाई की है. ईडी ने देहरादून जिले के सहसपुर क्षेत्र में स्थित करीब 101 बीघा जमीन को अटैच किया है.
ईडी ने जानकारी दी है कि यह कार्रवाई प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) 2002 के तहत की गई है. अटैच की गई इस जमीन की रजिस्टर्ड कीमत 6.56 करोड़ रुपये है, जबकि इसका मार्केट प्राइस 70 करोड़ रुपये से ज्यादा बताया जा रहा है. यह जमीन पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत के करीबी बीरेंद्र सिंह कंडारी और नरेंद्र कुमार वालिया द्वारा कथित तौर पर फर्जी तरीके से पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए बेची गई थी.
जानकारी के मुताबिक, इस जमीन पर पूर्णा देवी मेमोरियल ट्रस्ट के तहत दून इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस का निर्माण किया गया है, जिसका संचालन हरक सिंह रावत के बेटे तुषित रावत के पास है. ईडी के मुताबिक, इस मामले में अवैध तरीके से जमीन हरक सिंह रावत की पत्नी दीप्ति रावत और उनकी करीबी लक्ष्मी राणा को बेचे जाने का आरोप है.
पिछले साल हुई थी कार्रवाई
प्रवर्तन निदेशालय ने फरवरी 2024 में इस मामले में उत्तराखंड, हरियाणा और दिल्ली में 17 ठिकानों पर छापेमारी की थी. इनमें हरक सिंह रावत के देहरादून स्थित डिफेंस कॉलोनी के आवास, उनके बेटे के सहसपुर स्थित दून इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज और उनके करीबी अधिकारियों के ठिकानों पर जांच की गई थी.
विवादों का इतिहास
यह जमीन पहले भी विवादों में रह चुकी है. हरक सिंह रावत ने इस मामले में पहले इसे राजनीतिक द्वेष की कार्रवाई बताया था और कागजात पेश कर अपना पक्ष रखा था लेकिन इस बार ईडी ने जमीन खरीद में गड़बड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के तहत इसे अटैच कर दिया है.
हरक सिंह रावत से जुड़े अन्य मामलों, जैसे कॉर्बेट टाइगर सफारी घोटाला में भी जांच चल रही है. ईडी का दावा है कि उनके पास जमीन सौदे से संबंधित अहम दस्तावेज हाथ लगे हैं, जिसके आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों को पुख्ता किया जा रहा है.