उत्तराखंड सड़क सुरक्षा पॉलिसी को मिली मंजूरी, पर्वतीय जिलों में 10 नए ARTO के पद सृजित

खबर उत्तराखंड

देहरादूनः उत्तराखंड में लगातार बढ़ रहे सड़क दुर्घटनाओं को देखते हुए राज्य सरकार की ओर से समय-समय पर कदम उठाए जाते रहे हैं. लेकिन अभी तक कोई भी बड़ी सड़क दुर्घटना होने पर किसी विभाग की जिम्मेदारी तय नहीं हो पाती थी. ऐसे में विभागों की जिम्मेदारी तय किए जाने को लेकर परिवहन विभाग ने सड़क सुरक्षा नियमावली 2025 तैयार की है. जिस पर बुधवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक के दौरान मंजूरी मिली. सड़क सुरक्षा नियमावली में तमाम बिंदुओं पर गहन मंथन किए जाने के बाद विभागों की जिम्मेदारियां तय की गई है.

रोड सेफ्टी पॉलिसी में सड़क सुरक्षा से जुड़े सभी जरूरी मानकों और विषयों को समाहित किया गया है. लेकिन सड़क दुर्घटना के दौरान खास तौर पर विभागों की जिम्मेदारी किस तरह तय की जाएगी, उन बिंदुओं को पॉलिसी में शामिल किया गया है. इस पॉलिसी के आने के बाद अब विभाग किसी भी सड़क दुर्घटना पर अपना पलड़ा नहीं झाड़ पाएंगे. खास तौर से लोक निर्माण विभाग, परिवहन विभाग, पुलिस विभाग और स्वास्थ्य विभाग की सड़क सुरक्षा में किस तरह भूमिका होगी और सड़क दुर्घटना होने पर दुर्घटना की वजह साफ होने की स्थिति में किस विभाग की जिम्मेदारी बनेगी. इसे भी पॉलिसी में स्पष्ट किया गया है.

उत्तराखंड में सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए राज्य सरकार की ओर से तमाम स्तरों पर प्रयास किया जा रहे हैं. लेकिन पर्वतीय क्षेत्रों में अधिकारियों, कर्मचारियों की कमी होने के चलते प्रवर्तन की कार्रवाई सही ढंग से नहीं हो पा रही है. जिसको देखते हुए परिवहन विभाग के संरचनात्मक ढांचे में परिवहन सेवा संवर्ग में सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी के 10 और पद सृजित कर दिए हैं.

दरअसल, बुधवार को हुई धामी मंत्रिमंडल की बैठक के दौरान एआरटीओ के 10 पद बढ़ाए जाने पर मंजूरी दी गई. वर्तमान समय में परिवहन सेवा संवर्ग में सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी के कुल 32 पद सृजित हैं. ऐसे में अब सहायक संभागीय परिवहन अधिकारियों के कुल 42 पद हो जाएंगे.

परिवहन विभाग के अनुसार, उत्तराखंड का टिहरी, उत्तरकाशी, चमोली और रुद्रप्रयाग जिला चारधाम यात्रा के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है. जबकि पिथौरागढ़, रानीखेत और रामनगर पर्यटन के लिहाज से महत्त्वपूर्ण हैं. इसके अलावा, चंपावत जिला सीमांत जिला है. राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों के तहत इन जिलों का विस्तार अत्यधिक होने के चलते एक ही अधिकारी द्वारा कार्यालय के साथ-साथ पूरे जिले में प्रवर्तन कार्य और वाहन दुर्घटना पर लगाम लगाए जाने संबंधित कार्य किया जाना संभव नहीं है. जिसको देखते हुए प्रदेश के 10 पर्वतीय जिलों के कार्यालय में एक-एक सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी (प्रवर्तन) के पद सृजित किए गए हैं.

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