उत्तराखंड में कैंपा के बाद जायका परियोजना में हेराफेरी! लाखों की अनियमितता पर घिरे अफसर, जांच शुरू 

खबर उत्तराखंड

देहरादून: भारतीय वन सेवा के एक अफसर पर 3 महीने से भी कम के कार्यकाल में 20 लाख से भी ज्यादा रकम की अनियमितता के आरोप लगे हैं. यह मामला तब सामने आया है, जब पहले ही वन विभाग कैग रिपोर्ट के चलते कटघरे में है. कैंपा स्कीम के तहत नियम विरुद्ध खर्चे को लेकर जांच चल रही है. इस तरह केंद्रीय बजट के बाद अब जापान से फंडेड परियोजना को लेकर भी सवाल खड़े होने लगे हैं.

उत्तराखंड वन विभाग इनदिनों भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट को लेकर अपनी सफाई पेश कर रहा है. दरअसल, कैग रिपोर्ट में उत्तराखंड प्रतिकरात्मक वनरोपण निधि प्रबंधन और योजना प्राधिकरण (CAMPA) स्कीम के तहत नियम विरुद्ध बजट खर्च का खुलासा किया गया है. जिसमें बताया गया है कि भारत सरकार से मिले वनीकरण के बजट को आई फोन, फ्रिज, कूलर जैसे उपकरणों को खरीदने में खर्च कर दिया गया.

इतना ही नहीं दूसरी कई अनियमिताओं का भी रिपोर्ट में जिक्र किया गया है. खास बात ये है कि इस मामले के सामने आने के बाद सही वन विभाग में हड़कंप मचा हुआ है और इस पूरी रिपोर्ट के परीक्षण को लेकर जांच के आदेश भी कर दिए गए हैं. बता दें कि विधानसभा बजट सत्र के तीसरे दिन सदन के पटल पर कैग की रिपोर्ट पेश की गई. कैग रिपोर्ट में कई धांधली और अनियमितताओं का उजागर हुआ था.

वन विभाग में अभी यह मामला ठंडा भी नहीं हुआ था कि जायका परियोजना के प्रकरण से एक बार फिर वन विभाग के अधिकारी सुर्खियों में आ गए हैं. दरअसल, मामला जायका परियोजना में नियम विरुद्ध खरीद से जुड़ा हुआ है. बड़ी बात ये है कि जिस IFS अधिकारी पर यह आरोप लगे हैं, उसका परियोजना में कार्यकाल 3 महीने से भी कम का रहा है. यानी भारतीय वन सेवा के इस अधिकारी पर 3 महीने से भी कम के कार्यकाल में 20 लाख से ज्यादा रुपए की अनियमितता के आरोप लगे हैं.

ये है जायका में अनियमितता से जुड़ा मामला

जायका परियोजना में अनियमितता से जुड़ा यह मामला साल 2022 का है. परियोजना में 19 जुलाई 2022 से 14 अक्टूबर 2022 तक भारतीय वन सेवा के अधिकारी भारत भूषण मार्तोलिया उप परियोजना निदेशक के तौर पर तैनात थे. साल 2016 बैच के इस आईएफएस अधिकारी पर परियोजना में रहते हुए 20 लाख 23 हजार रुपए की खरीद में अनियमितता के आरोप लगे हैं.

बड़ी बात ये है कि 3 महीने से भी कम के कार्यकाल में हुई अनियमितता को लेकर मामला पिछले कई साल से लंबित है. हालांकि, साल 2023 के जनवरी महीने में आईएफएस (IFS) अधिकारी भारत भूषण मार्तोलिया से स्पष्टीकरण मांगा गया था, लेकिन तब इसकी जांच नहीं हो पाई थी.

जांच के दौरान इन बिंदुओं पर रहेगा फोकस

जायका परियोजना में लाखों की रकम से जुड़े इस मामले में कई बिंदुओं पर जांच होनी है. जांच का पहला बिंदु होगा कि तैनाती के दौरान आईएफएस अधिकारी भारत भूषण मार्तोलिया को बिल पास करने का अधिकार न होने के बावजूद भी क्या बिल पास किए गए?

आईएफएस अधिकारी को 5 लाख तक का ही भुगतान करने का अधिकार था. ऐसे में क्या 5 लाख से ज्यादा के चेक भी दिए गए? तीसरा जिस सामान की खरीद की गई. क्या वो परियोजना कार्यालय में पहुंचा. इस तरह विभिन्न बिंदुओं पर जांच अधिकारी को जांच करनी है. मामले की जांच राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक कोको रोसो को दी गई है.

नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व में तैनात हैं मार्तोलिया

आईएफएस अधिकारी भारत भूषण मार्तोलिया फिलहाल नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व में तैनात हैं. खास बात ये है कि मार्तोलिया मार्च महीने में ही सेवानिवृत्ति भी हो रहे हैं. परियोजना में उनके कार्यकाल की यह फिलहाल प्राथमिक जांच हो रही है और गड़बड़ी पाए जाने पर उनके खिलाफ आगे की कार्रवाई की जाएगी.

फिलहाल, यह पूरा मामला अब राजाजी टाइगर रिजर्व के डायरेक्टर कोको रोसो की जांच रिपोर्ट पर आकर टिक गया है. हालांकि, भारत भूषण मार्तोलिया से इस मामले में साल 2023 के दौरान जब स्पष्टीकरण मांगा गया था, तब उनके जवाब संतोषजनक नहीं पाए गए थे. इसी के बाद मुख्य परियोजना निदेशक ने वन विभाग को मामले में जांच करने के लिए पत्र लिखा था. उधर, भारत भूषण मार्तोलिया से जब मीडिया  ने बात की तो उन्होंने ये बातें कही.

उन्हें जांच के आदेश होने की जानकारी नहीं है. जहां तक सवाल उनके कार्यकाल में हुई खरीद का है तो जांच में जो भी पहलू आएंगे, वो उसका जवाब देने के लिए तैयार हैं. उनके कार्यकाल के दौरान जो भी बिल पास किए गए, वो मुख्य परियोजना अधिकारी के स्तर पर पास हुए थे. – भारत भूषण मार्तोलिया, आईएफएस अधिकारी

जायका परियोजना में लाखों रुपए की अनियमितता मामले पर जांच की प्रमुख वन संरक्षक हॉफ धनंजय मोहन ने पुष्टि की है.

इस मामले में विभाग के सीनियर अधिकारी को जांच दे दी गई है. जांच आने के बाद प्रकरण पर अग्रिम कार्रवाई की जाएगी. – धनंजय मोहन, प्रमुख वन संरक्षक हॉफ, उत्तराखंड वन विभाग

क्या है जायका परियोजना

जायका यानी जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी. जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि यह परियोजना जापान के सहयोग से देश में चलाई जा रही है. इस परियोजना में वन पंचायत के माध्यम से पर्यावरण से संबंधित कार्यों को किया जाता है. उत्तराखंड में इस परियोजना का पहला फेज पूरा हो चुका है और अब दूसरे फेज की मंजूरी का इंतजार है. उत्तराखंड को पहले फेस में 500 करोड़ से ज्यादा की रकम इस परियोजना के जरिए मिली है.

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