देहरादून: उत्तराखंड आबकारी विभाग के अधिकारियों की नाकामीयाबियों का ठीकरा जिलाधिकारियों के सिर फोड़ा जा रहा है। ठेके दिलवाने में रुचि रखने वाले आबकारी अधिकारी वसूली में फिसड्डी साबित तो आबकारी हुए का नुकसान होने का झांसा देकर वसूली के आदेश विभाग ने ही जिलों से कटी 200 करोड़ से अधिक की आरसी पर रोक लगा रखी है।
पिछले साल की नीलामी के ही 196 करोड़ रुपये जमा नहीं हो पाये
आबकारी सचिव ने बीते दिनों सचिवालय में आबकारी विभाग की बैठक ली। बैठक में यह बात सामने आई कि नए साल के ठेके नीलामी की तैयारियों आरंभ हो गई है और अभी तक पिछले साल की नीलामी के ही 196 करोड़ रुपये जमा नहीं हो पाये हैं। आबकारी सचिव ने आनन-फानन में कुछ आबकारी अधिकारियों को नोटिस तो कुछ की सर्विस बुक में एडवर्स एंट्री के निर्देश दे डाले। बैठक में यह किसी ने नहीं देखा कि किस जिले में सबसे अधिक देनदारी बाकी है। बताया गया कि ऐसे जिलों के आबकारी अधिकारियों को दंडित कर दिया जहां देनदारी सबसे कम है। बैठक में जिलेवार समीक्षा की गई, राजस्व हानि के लिए दोषी कार्रवाई नहीं की गई।
विभाग ने ही लगा रखी है लेकिन जो अधिकारी सचिव ने राज्य के सभी 200 करोड़ से अधिक जिलाधिकारियों को राजस्व की आरसी पर रोक पाये उनके खिलाफ कोई नई आरसी काटने के जारी कर दिये, जबकि दूसरा किये निर्देश जारी, पुरानी को प्रषित नोटिस में 196 पक्ष यह है कि आबकारी पर संज्ञान नहीं। राज्य के सभी डीएम करोड़ की वसूली आरसी के माध्यम से करने के लिए निर्देशित किया गया है और वह भी 15 दिन के भीतर वसूली की बात कही गई है, जबकि अलग-अलग जिलों से अब तक जो 200 करोड़ से भी अधिक की आरसी काटी गई उनकी वसूली पर खुद आबकारी अधिकारियों ने ही रोक लगा रखी है। जिला स्तर से भी अधिकारी यही जानना चाह रहे है कि पूर्व में काटी गई आरसी की वसूली तो विभाग ही नहीं करने दे रहा है तो ऐसे में नई आरसी काटने पर क्या उनकी वसूली करने देगा। अब लबों लुबाब यह है कि जो अधिकारी ठेका दिलाने के नाम पर जल्दबाजी करते हैं वही अधिकारी पैसा लेने में फिसड्डी क्यों साबित हो रहे हैं ऐसे अधिकारियों पर क्या कार्रवाई करेगी सरकार ?