देहरादून: उत्तराखंड के आबकारी विभाग में अधिकारियों की सबसे बड़ी भीड़ है सचिव से लेकर कमिश्नर और कुमाऊं और गढ़वाल के अलग-अलग अधिकारी विभाग में भी अधिकारियों की लंबी फेहरिस्त लेकिन फिर भी राजस्व वसूली के नाम पर सारे अधिकारी फिसड्डी साबित हो रहे हैं। जो अधिकारी ठेका देने के नाम पर हमेशा आगे रहते हैं वह अधिकारी राजस्व वसूली में पीछे क्यों हैं ? यह एक बड़ा सवाल है ।
गौरतलब है कि पिछले सालों में उत्तराखंड में 200 करोड़ रुपए लगभग के राजस्व की वसूली के बिना उन्हीं दुकानदारों को ठेके वापस दे दिए गए जिनके वसूली के पैसे सरकार के पास रह गए हैं ।अब अगर यह दुकानदार डिफाल्टर हो जाते हैं तो इनकी राजस्व की वसूली कौन करेगा और अगर राजस्व की वसूली नहीं हो पाएगी तो जिम्मेदार कौन होगा ?
अक्सर ओवर रेटिंग के नाम पर शराबियों के ब्रांडिंग के नाम पर विवादों में रहने वाली उत्तराखंड आबकारी विभाग इस वर्ष आय के मामले में भी फिसड्डी साबित हुई है उत्तराखंड सरकार के राजस्व देने वाले विभागों में आबकारी महकमा भी शामिल था लेकिन कुछ वर्षों से यह महकमा मजबूती से सरकार के आय का स्रोत नहीं बन पा रहा है । सरकार के राजस्व का नहीं जमा होना अधिकारियों के कर्तव्य निष्ठा पर भी सवाल उठा रहे हैं। अब देखने वाली बात ये होगी की सीएम धामी इस पूरे मामले पर क्या एक्शन लेते हैं ?