न्यूज़ डेस्क: कैंसर की बीमारी तेजी से दुनिया में अपना कहर ढाती जा रही है. इस बीमारी से निपटने के लिए कई तरह के इलाज विकसित हो चुके हैं, इसके बावजूद कैंसर (Cancer) का नाम सुनते ही आज भी सभी के रौंगटे खड़े हो जाते हैं. जब भी किसी को कैंसर के लक्षणों के बारे में बताया जाता है तो पूरा परिवार डर के साये में जीने लगता है. आज हम आपको रसोई में इस्तेमाल होने वाली उन चीजों के बारे में बताते हैं, जो कैंसर बीमारी का बड़ा कारण बनती है. अगर आपके घर में ये चीजें हैं तो इन्हें जल्द से जल्द हमेशा के लिए विदा कर दें वरना आपको बाद में पछताना पड़ सकता है. कई लोग 2-3 महीने के गर्म मसाले एक साथ खरीदकर रसोई में रख लेते हैं लेकिन वे उन मसालों का पूरी तरह यूज नहीं कर पाते, जिसके चलते वे रखे-रखे खराब होने लगते हैं. ऐसे खराब मसालों को सब्जी में मिलाने से वे फूड पॉइजनिंग का सबब बन जाते हैं, जिससे बाद में कैंसर (Cancer) भी हो सकता है. इसलिए हो सके तो जितनी जरूरत हो, केवल उतने ही गरम मसाले खरीदकर रसोई में रखें, उससे ज्यादा नहीं.
आपने टी बैग तो देखे ही होंगे. उसमें एक पीसीवी, फूड ग्रेड नॉयलान और नैनो प्लास्टिक होती है. जब उन टी बैग्स को गर्म पानी में डुबोया जाता है तो वे तीनों यौगिक टूटने लगते हैं. इसकी वजह से उसमें कार्सिनोजेन नाम का एक पदार्थ सक्रिय हो जाता है, जो बाद में कैंसर (Cancer) का कारण बन सकता है. इसलिए टी बैग्स का इस्तेमाल कम से कम कर दें.
रसोई में मौजूद कई नॉन स्टिक बर्तन केमिकल का इस्तेमाल करके बनाए जाते हैं. ऐसे केमिकल को परफ्लुओक्टेन सल्फेट कहा जाता है. ऐसे केमिकल शैंपू, वाटरप्रूफ कपड़ों, सफाई के उत्पादों और नॉन-स्टिक कुकवेयर में पाए जाते हैं. ऐसे बर्तनों में भोजन बनाने से धीरे-धीरे ये केमिकल आपके शरीर में प्रवेश करते रहते है, जिससे कैंसर (Cancer) का खतरा बढ़ जाता है.
प्लास्टिक को सख्त करने के लिए उसमें बिस्फेनॉल ए (बीपीए) नाम के केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है. प्लास्टिक के लंच बॉक्स और दूसरे किचन टूल्स इसी रसायन के इस्तेमाल से तैयार किए जाते हैं. जब आप इन बर्तनों में मौजूद सब्जी को गर्म करते हैं तो वह रसायन भी घुलकर प्लास्टिक में मिक्स होने लगता है, जिससे कैंसर (Cancer) का खतरा धीरे-धीरे बढ़ता रहता है. इसलिए आप ऐसे प्लास्टिक बर्तनों से दूरी बना लें तो ठीक रहेगा.